Hindi stories-डर के आगे जीत है।

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Hindi stories-डर के आगे जीत है।
यदि आप किसी hindi stories की तलाश में हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर है।
  • डर भी दो तरह होते है एक जो अच्छे कार्यो को डर के कारण सिखाती है और यही डर उस इन्सान को सही रास्ते पर चलने को मजबूर करती है और दूसरा जो डर से कुछ भी न करना सिखाती है यानि चाहकर भी कुछ नही कर पाना भी आपका ही एक डर है।

आज की कहानी एक ऐसे राजा की जिसने डर पर विजय प्राप्त कर ली।अब उसे डर लगता ही नहीं, जितने भी वह युद्ध लड़ता सारे जीतता, लेकिन कहते हैं ना कि समय किसी का नहीं होता है, जब वह बदलता है तो विनाश निश्चित है तब वो यह नहीं देखता कौन व्यक्ति राजा है और कौन व्यक्ति रंक।


  • Hindi stories का शीर्षक:-डर के आगे जीत है।

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एक युद्ध के दौरान राजा को यह आभाश हो गया कि ये युद्ध हम हारने वाले है क्यूंकि शत्रु सैनिक बहुत ज्यादा थे, तो राजा ने फैसला लिया कि हम कुछ जरूरी सिपाहियों को लेकर यहाँ से आगे बढ़ जाएंगे।



राजा ने ऐसा ही किया जितने भी जरूरी सैनिक थे उन सब के साथ राजा पहाड़ी के रास्ते भागने लगा लेकिन शत्रु सैनिक ने इन लोगों को देख लिया और इनके पीछे भागने लगा।

आप कभी भी किसी के भगवान बन सकते हैं।
जैसे जैसे ये लोग आगे बढ़ते गए वैसे वैसे पहाड़ी वाला रास्ता बहुत कठिन होने लगा, राजा के जो सैनिक थे वो पीछे छूटते चलते गए और राजा को अकेले ही भागना पड़ रहा था।

रास्ता एक जगह बहुत कठिन हो गया और जो राजा का घोड़ा था वो गिर गया और तब राजा पैदल भागने लगा, कुछ ही दूर पर राजा ने देखा कि एक गाँव है और गाँव मे एक मेला लगा हुआ है।

राजा दौड़ते दौड़ते एक दुकान पर गए और उस दुकान वाले से कहा कि मुझे बचा लो शत्रु सैनिक मेरे पीछे लगे हुए है।

दुकानदार जो था राजा को पहचान गया और उसने राजा की मदद करने की सोची, उसने राजा को लेटाया और अपनी दुकान की चीजें उनके ऊपर रखने लगा ताकि उन्हे कोई ढूंढ ना सके।

इतने मे शत्रु सैनिक पीछे से आ गए और सारी दुकान की समान को इधर-उधर पटकने लगे, दुकान में रखी सारी अनाज की बोरियों में तलवार मारने लगे।

धीरे धीरे वो उस दुकान पर आ गए जहाँ राजा छुपा हुआ था, अब उस दुकान पर आके उन्होने तलवार मारना शुरू किया लेकिन क्यूँकि राजा जो था बहुत अंदर था। इतना होने के बाद शत्रु सैनिको ने सोचा कि शायद राजा यहाँ से भाग चुका है, और वो लोग आगे बढ़ गए।

आपकी जिन्दगी कभी भी बदल सकती है।
अब उस दुकानदार ने वहां से सारा सामान हटाया और राजा को बाहर निकाला, इतने मे राजा के कुछ सैनिक भी वहाँ पहुँच गए।

राजा ने उस दुकानदार से कहा कि आज तुमने मेरी जिन्दगी बचा दी, तुम्हें जो इनाम चाहिए वो तुम मुझसे मांग सकते हो। तो उस व्यक्ति ने कहा कि राजा साहब मैं तो बहुत गरीब आदमी हूँ मुझे कुछ नहीं चाहिए।

मैं बस एक प्रश्न का जवाब चाहता हूँ, मै चाहता हूँ कि आप मुझे मेरे सवाल का जवाब दे।

राजा ने कहा कि बस इतनी सी बात.? पूछो जो पूछना है।

उस व्यक्ति ने कहा कि जैसे जैसे शत्रु सैनिक आपकी ओर बढ़ रहे थे और आपके पास आकर तलवार मार रहे थे तो आपको कैसा लग रहा था।

सभी लोग यह सुन कर हँसने लगे, राजा को लगा कि यह तो मेरा अपमान कर रहा है। राजा ने गुस्से से कहा कि मुर्ख तुम्हें क्या लगता है कि मुझे डर लग रहा था?

राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि उसे पकड़े और एक पेड़ मे बांध दे,और जैसे ही मैं 3 तक गीनू इसका सर इसके धड़ से अलग कर देना।

सैनिकों ने उसे पकड़ा और एक पेड़ से बांध दिया और उसके मुँह को एक काले कपड़े से बांध दिया, अब राजा ने गिनती गिनना शुरू किया और जैसे ही वह 3 तक पहुँचे, 3 गिनने के बाद ही उन्होने कहा कि इसके मुँह से वो काला कपड़ा निकाला जाए और इसे पेड़ से भी खोल दिया जाए।

परेशानीयों का डट कर मुकाबला किजिये।
सब लोग आश्चर्यचकित हो गए कि यह क्या हो रहा है? राजा ने दुकानदार से कहा कि जब मैं तुमपर गुस्सा होकर इस पेड़ से बँधवाया और तुम्हारे मुँह पर काला कपड़ा बँधावया और जब मैंने कहा कि 3 तक गिनती गिनने पर तुम्हारा सर धड़ से अलग कर दिया जाएगा तो तुम्हें कैसा लग रहा था?

वो व्यक्ति राजा की बात को समझ गया। राजा ने कहा कि जैसा तुम्हें लग रहा था ठीक वैसा ही मुझे भी लग रहा था, मैं भी इंसान हूँ और मुझे भी डर लगता है।
अपने लक्ष्य के लिए विचार लाइए।



इस hindi stories  से सीख :-

  • डर सबको लगता है, डर हर इंसान को लगता है लेकिन डर के आगे जीत है। 
  • जिस व्यक्ति ने डर पर काबू पा लिया वह व्यक्ति ही सफल होता है, जिन्दगी मे आगे बढ़ता है, आप भी अपने डर पर काबू किजिये और अपनी जिन्दगी मे आगे बढ़ीये।


आपको यह hindi stories कैसी लगी हमें कमेंट करके बताए और ज्यादा से ज्यादा इस कहानी को शेयर करे।


राधा वैश्य

राधा वैश्य लखनऊ उत्तर प्रदेश से हैं। वह शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ीं हैं, और लोगों के साथ ज्ञानवर्धक जानकारी साक्षा करने में रूचि रखतीं हैं। इनके 500 से ज्यादा लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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